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छोटे शहरों के लिए विशेष एक्सपोर्ट रणनीति

शीर्षक: “लोकल से ग्लोबल – छोटे शहर से ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट की राह”


1. चरण 1: तैयारी और उत्पाद चयन (0–30 दिन)

उद्देश्य: “क्या बेचना है” और “किसे बेचना है” यह तय करना।

1.1 स्थानीय ताकत की पहचान करें:

  • अपने शहर या इलाके में कौन-से उत्पाद प्रसिद्ध हैं?
    जैसे – हर्बल/आयुर्वेद उत्पाद , हैंडिक्राफ्ट, लकड़ी फर्नीचर , बांस उत्पाद -खूंटी (झारखंड)।
  • इन उत्पादों में “स्थानीयता + यूनिकनेस” ही आपका USP (Unique Selling Point) है।

1.2 मार्केट रिसर्च करें:

  • Amazon, Etsy, eBay, Walmart जैसे प्लेटफॉर्म पर देखें कि आपका उत्पाद विदेश में बिक रहा है या नहीं।
  • Google Trends, ChatGPT या EtsyRank जैसे टूल्स से प्रोडक्ट डिमांड पता करें।

1.3 ब्रांड नेम बनाएं:

  • छोटा लेकिन यादगार नाम रखें – अंग्रेज़ी या संस्कृत प्रेरित शब्द बेहतर रहते हैं (जैसे “EcoRuchi”, “AmritCraft”, “TribalNest” आदि)।

2. चरण 2: बिज़नेस रजिस्ट्रेशन और डॉक्युमेंटेशन (15–45 दिन)

उद्देश्य: “कानूनी पहचान और बैंकिंग सेटअप”

2.1 आवश्यक रजिस्ट्रेशन:

  • GSTIN – व्यापार के लिए अनिवार्य।
  • Udyam Registration (MSME) – सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए।
  • IEC (Importer Exporter Code) – DGFT वेबसाइट पर ऑनलाइन मुफ्त में मिलता है।
  • Bank AD Code – आपके बैंक से लें ताकि विदेशी पेमेंट आपके खाते में आए।

2.2 डिजिटल पहचान बनाएं:

  • वेबसाइट या सोशल मीडिया पेज बनाएं (Instagram, Facebook, YouTube Shorts पर स्थानीय कहानियाँ शेयर करें)।
  • WhatsApp Business अकाउंट से ग्राहकों को जोड़ें।

3. चरण 3: उत्पाद तैयारी और गुणवत्ता नियंत्रण (1–2 महीने)

उद्देश्य: “गुणवत्ता ही ग्लोबल पासपोर्ट है।”

3.1 प्रोडक्ट फिनिशिंग और पैकिंग:

  • विदेश भेजने योग्य पैकिंग करें — वाटरप्रूफ, हैंडलिंग-सेफ और ब्रांडिंग के साथ।
  • पैकिंग मटेरियल लोकल हो सकता है लेकिन प्रेजेंटेशन प्रोफेशनल लगे।

3.2 टेस्ट ऑर्डर करें:

  • शुरू में 2–3 छोटे ऑर्डर (Etsy या Amazon Global पर) भेजें ताकि लॉजिस्टिक्स समझ में आए।

3.3 लोगो और लेबल:

  • “Made in India” टैग लगाएं, ब्रांड पहचान बनाएं।
  • QR कोड लगाएं जो आपकी वेबसाइट या स्टोरी वीडियो तक ले जाए।

4. चरण 4: लॉजिस्टिक्स और शिपमेंट रणनीति (2–3 महीने)

उद्देश्य: “गांव से ग्लोबल शिपमेंट तक बिना झंझट।”

4.1 पोस्ट ऑफिस आधारित निर्यात (Dak Niryat Kendra):

  • DGFT और इंडिया पोस्ट द्वारा 1000+ “डाक निर्यात केन्द्र” बनाए जा रहे हैं।
  • आप अपने छोटे पार्सल (2–30 kg तक) विदेश भेज सकते हैं सीधे लोकल पोस्ट ऑफिस से।

4.2 कूरियर-आधारित समाधान:

  • ShiprocketX, DHL Express, FedEx, Aramex जैसी सेवाओं से अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट संभव है।
  • ShiprocketX छोटे शहरों से “डोर-टू-डोर पिकअप” भी देती है।

4.3 लागत नियंत्रण रणनीति:

  • समान आकार के प्रोडक्ट्स साथ भेजें ताकि वॉल्यूम-डिस्काउंट मिले।
  • पैकेज हल्के रखें ताकि एयर-फ्रेट कम लगे।

5. चरण 5: मार्केटिंग और बिक्री (3–6 महीने)

उद्देश्य: “विदेशी ग्राहक तक पहुँचना और ब्रांड पहचान बनाना।”

5.1 प्लेटफॉर्म चुनें:

प्रकारप्लेटफॉर्म्स
हस्तनिर्मित उत्पादEtsy, eBay, Amazon Handmade
परिधान / कपड़ेAmazon Global, Shopify
हर्बल / नेचुरलEtsy, iHerb, Shopify
कला / सजावटRedbubble, Society6

5.2 सोशल मीडिया प्रमोशन:

  • Reels, Shorts, Pinterest बोर्ड का उपयोग करें।
  • “Indian Village to World Market” जैसी कहानियाँ शेयर करें।
  • अंग्रेज़ी में छोटा स्लोगन जोड़ें – “Handcrafted in Khunti, Loved Worldwide”

5.3 ईमेल और WhatsApp मार्केटिंग:

  • पुराने ग्राहक को नए प्रोडक्ट की जानकारी भेजें।
  • एक Google Form बनाएं – “Worldwide Buyer Inquiry” ताकि संभावित ग्राहकों को कैप्चर करें।

6. चरण 6: सरकारी सहायता और इंसेंटिव्स

उद्देश्य: “सरकार की योजनाओं से लागत घटाना।”

6.1 DGFT स्कीमें:

  • RoDTEP (Remission of Duties and Taxes on Exported Products) – टैक्स की रिफंड।
  • TMA (Transport and Marketing Assistance) – शिपिंग व मार्केटिंग खर्च पर सहायता।
  • Export Promotion Council (EPC) में सदस्यता – ट्रेनिंग, ट्रेड फेयर, और नेटवर्किंग।

6.2 MSME मंत्रालय सहायता:

  • MSME के तहत ZED Certification, Marketing Assistance, E-Market Linkages
  • Skill India और Digital India के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम।

6.3 जिला उद्योग केंद्र (DIC) से सहायता:

  • उत्पाद रजिस्ट्रेशन, ट्रेनिंग, सब्सिडी, और फाइनेंस गाइडेंस।

7. चरण 7: दीर्घकालिक विकास और विस्तार (6–12 महीने)

उद्देश्य: “स्थायी निर्यात व्यवसाय बनाना।”

7.1 निरंतर सुधार करें:

  • ग्राहक फीडबैक के आधार पर प्रोडक्ट सुधारें।
  • एक्सपोर्ट क्वालिटी सर्टिफिकेशन प्राप्त करें।

7.2 नेटवर्क बनाएं:

  • ट्रेड शो, एक्सपोर्ट मीट, DGFT वेबिनार में भाग लें।
  • अन्य छोटे निर्यातकों से मिलकर “Export Cluster” बनाएं।

7.3 वित्तीय वृद्धि:

  • निर्यात आधारित ऋण योजनाएँ – Export Credit Guarantee Corporation (ECGC) और SIDBI Export Finance का लाभ लें।

निष्कर्ष: “GO GLOBAL” सपना नहीं, हकीकत है!

अगर सही दिशा, सरकारी योजना, और डिजिटल साधनों का उपयोग किया जाए, तो छोटे शहर से भी वैश्विक बाजार तक पहुँचना संभव है।

“आपका उत्पाद चाहे छोटा हो, लेकिन आपका विजन बड़ा होना चाहिए।”

लोकल से ग्लोबल – छोटे शहर से ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट की राह “E-commerce Export -Download PDF”
छोटा शहर – बड़ा बिज़नेस: क्या वाकई मुमकिन है?

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