भारत सरकार ने विदेश व्यापार को बढ़ावा देने के लिए और खासकर ई-कॉमर्स (क्रॉस-बॉर्डर) निर्यात को बढ़ाने के लिए एक लक्ष्य रखा है — देश को 2030 तक 1 ट्रिलियन USD माल के निर्यात तक ले जाना है। DGFT इसके लिए एक नया रास्ता है: क्रॉस-बॉर्डर ई-कॉमर्स, यानी भारत से विदेशों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से बिक्री करना। DGFT
यह उन एमएसएमई (MSME) उद्यमियों के लिए खास अवसर है जो बड़े बंदोबस्त या बड़े शहरों में नहीं हैं, बल्कि छोटे शहरों, कस्बों में हैं — क्योंकि ई-कॉमर्स के माध्यम से लागत कम होती है, बिचौलिये कम होते हैं, वैश्विक बाजार तक पहुंच मिलती है। DGFT+1
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2. सरकार क्या-क्या सहायता दे रही है
इस हैंडबुक में कई अहम बिंदु दिए गए हैं जिनसे यह स्पष्ट होता है कि सरकार व संबंधित संस्थाएँ किस तरह से मदद कर रही हैं:
2.1 इंफ्रास्ट्रक्चर एवं नेटवर्क
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DGFT ने निर्देश दिए हैं कि पोस्टल मार्ग (डाक मार्ग) द्वारा निर्यात को बढ़ावा दिया जाए। उदाहरण के लिए, भारत में कई “डाक निर्यात केन्द्र” (Dak Niryat Kendras) स्थापित किये जा रहे हैं, जिनका लक्ष्य 1000+ तक पहुंचना है। DGFT
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इस प्रकार, छोटे शहर-गाँव से भी डाक (पोस्ट) के माध्यम से एक्सपोर्ट करना आसान होगा क्योंकि बड़ा लॉजिस्टिक सेट-अप नहीं होना चाहिए। DGFT
2.2 रजिस्ट्रेशन-प्रक्रिया सरल करना
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निर्यात करने के लिए सबसे पहले चाहिए: GSTIN, बैंक खाता, एडेडीडी (AD) कोड व साथ में Importer-Exporter Code (IEC)। हैंडबुक में बताया गया कि IEC पाने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और स्वचालित है। DGFT
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निर्यात नीति, HS (Harmonised System) कोड आदि स्पष्ट किए गए हैं ताकि नए निर्यातक को जानकारी हो। DGFT
2.3 लॉजिस्टिक्स व पैकिंग – सहायता
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पैकिंग, शिपमेंट, लॉजिस्टिक्स जैसे बुनियादी बातें विस्तार से बताई गई हैं। उदाहरण के लिए: पैकिंग चाक-चौबंद होना चाहिए ताकि विदेश जाते समय सामान सुरक्षित रहे। DGFT
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लॉजिस्टिक्स सेवाएँ, पोस्ट, कुरियर आदि द्वारा निर्यात के लिए समायोजित मॉडल दिए गए हैं। DGFT
2.4 विदेशी बाजार व ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की जानकारी
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हैंडबुक में यह बतलाया गया है कि निर्यातक को यह देखना होगा कि कौन-से उत्पाद विदेश में डिमांड में हैं। जैसे — हाथ-करघा वस्त्र, हस्तशिल्प, लेदर गुड्स, अयुर्वेद/हर्बल उत्पाद, मसाले आदि। DGFT
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साथ ही, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर कैटलॉग तैयार करना, कीमत तय करना, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना आदि भी समझाया गया है। DGFT
2.5 बैं किंग और भुगतान व्यवस्थाएं
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निर्यातकों के लिए भुगतान प्राप्त करना, विदेशी मुद्रा नियम आदि समझाए गए हैं। जैसे कि भुगतान को भारत में वापस लाने की अवधि, बैंकिंग रिपोर्टिंग आदि। DGFT
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छोटे निर्यातकों के लिए सोशल-ई-कॉमर्स मॉडल भी सुझाए गए हैं जो कम लागत में शुरू हो सकते हैं। DGFT
3. छोटे शहर के व्यक्ति के लिए मार्ग-दर्शिका
अगर आप किसी छोटे शहर से हैं और निर्यात में हाथ आजमाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए स्टेप्स आपकी मदद करेंगे:
3.1 उत्पाद चुनें
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देखें कि आपके आसपास कौन-से उत्पाद बनाए जा सकते हैं — उदाहरण के लिए हस्तशिल्प, स्थानीय हर्बल उत्पाद, छोटे लेदर/चमड़े के सामान, घरेलू सजावट आदि।
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हैंडबुक में बताया गया है कि भारत को हस्तशिल्प, होम डेकोर, मसाले-चाय-कॉफी, अयुर्वेद/हर्बल सेक्टर्स में कम्पैरिटिव (तुलनात्मक) बढ़त है। DGFT
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अपनी मार्केट रिसर्च करें — वेबसाइट्स देखें, विदेशों के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म देखें कि आपके जैसा उत्पाद वहाँ बिक रहा है या नहीं। हैंडबुक में यह सुझाव है। DGFT
3.2 रजिस्ट्रेशन करें
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GSTIN लीजिए।
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अपनी कंपनी या फर्म का पैन, बैंक खाता बनवाइए।
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IEC को ऑनलाइन आवेदन करके हासिल करें। हैंडबुक में कहा गया है कि IEC लेना पूरी तरह ऑनलाइन है। DGFT
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यदि आप पोस्ट-मार्ग से भेजना चाहते हैं, तो देखें कि निकट-स्थानीय डाक निर्यात केन्द्र (Dak Niryat Kendra) उपलब्ध है या नहीं।
3.3 ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग
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अपने उत्पाद का अच्छा कैटलॉग बनाइए — उत्पाद का नाम, विवरण, कीमत, अच्छी तस्वीरें। हैंडबुक में कहा गया है कि यह बहुत-महत्वपूर्ण है। DGFT
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सोशल मीडिया (Facebook, Instagram, WhatsApp Business) का इस्तेमाल करें ताकि ब्रांड बनाने में मदद मिले। DGFT
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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर लिस्टिंग करते समय शुल्क (referral fee, closing fee, शिपिंग आदि) का ध्यान रखें। DGFT
3.4 पैकेजिंग व शिपमेंट
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आपका पैकिंग ऐसा होना चाहिए कि विदेश भेजते समय सामान सुरक्षित रहे। हैंडबुक में पैकिंग की अनिवार्यता व पैकिंग में ध्यान देने योग्य बिंदु दिए गए हैं। DGFT
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शिपमेंट के लिए पोस्टल या कुरियर विकल्प देखें। छोटे वजन के पार्सल के लिए पोस्टल मार्ग आसान और सस्ता हो सकता है। DGFT
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शिपमेंट के दस्तावेज (Invoice, HSN/ITC code, इलेक्ट्रॉनिक बिलिंग आदि) का ख्याल रखें। हैंडबुक में इन दस्तावेजों की जानकारी दी गई है। DGFT
3.5 भुगतान व पेमेंट रीयलाइजेशन
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निर्यात के बाद विदेशी ग्राहक से पैसे वापस भारत में आना चाहिए। हैंडबुक में बताया गया है कि भुगतान को 9 महीनों के अंदर वसूलना चाहिए। DGFT
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बैंक और विदेशी मुद्रा विनियमन के नियमों का पालन करें। बैंक से “Electronic Bank Realisation Certificate” (e-BRC) जैसी प्रक्रियाएँ समझें। DGFT
3.6 भविष्य-विस्तार व निरंतरता
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एक बार शुरुआत हो जाने के बाद धीरे-धीरे अपनी निर्यात सीमा बढ़ाएं, नए बाजार खोजें। हैंडबुक सुझाव देता है कि वैश्विक बिक्री-इवेंट्स (जैसे क्रिसमस, ब्लैक फ्राइडे, आदि) को ध्यान में रखें। DGFT
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अपने उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखें और ब्रांड पहचान बनाने की दिशा में काम करें।
4. चुनौतियाँ और सुझाव
4.1 चुनौतियाँ
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छोटे शहरों में लॉजिस्टिक्स (शिपिंग, पैकिंग, कूरियर) की सुविधा कम हो सकती है।
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विदेशी बाजार की समझ, भाषा-विचार व ग्राहक व्यवहार का ज्ञान कम हो सकता है।
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प्रारंभिक लागत (पैकिंग, प्लेटफॉर्म लिस्टिंग, मार्केटिंग) आ सकती है।
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निर्यात से जुड़े नियम-कानून, विदेशी मुद्रा विनियमन आदि की जानकारी कम हो सकती है।
4.2 सुझाव
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स्थानीय इनक्यूबेशन केंद्र, उद्योग विभाग, MSME कार्यालय से संपर्क करें; अक्सर वे ट्रेनिंग, सहायता कार्यक्रम चलाते हैं।
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इंटरनेट का उपयोग करें — नि:शुल्क संसाधन, YouTube ट्यूटोरियल, ऑनलाइन कोर्स आदि।
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शुरुआत में छोटे स्तर पर (कम लागत व कम जोखिम) काम करें, जैसे 1-2 उत्पाद को विदेश भेजने से अनुभव लें।
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गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें; एक बार अच्छी प्रतिष्ठा बन जाए तो ब्रांड-इमेज बनाना आसान होगा।
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नेटवर्किंग करें — ट्रेड फेयर, एक्सपोर्ट सेमिनार्स, खाता देखें कि कौन-से प्लेटफॉर्म्स व कौन-से देश आपके माल के लिए बेहतर हैं।
छोटे शहर में रहकर भी निर्यात व्यवसाय शुरू करना अब संभव है — खासकर ई-कॉमर्स के माध्यम से। सरकार ने Ministry of Commerce and Industry के माध्यम से जरूरी नीतियाँ व सहायताएँ प्रारंभ कर रखी हैं, और इस हैंडबुक में निर्यातक-जन को सामने आने वाली प्रमुख सुविधाएँ व दिशाओं का अच्छा नक्शा मिला है।
यदि आप इस राह पर चलना चाहते हैं, तो सबसे पहले उचित उत्पाद चुनें, अपना पंजीकरण कर लें, इंटरनेट व प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करें, गुणवत्ता रखें, और निरंतर सीखते रहें। सफलता धीरे-धीरे मिलेगी, लेकिन संभावनाएँ आज बहुत ही प्रबल हैं।
